हमेशा किसी ना किसी के पीछे मैं...
मुझे हमेशा यही लगता है कि सबसे आगे होऊँगा तो नजर में आ जाऊँगा, मुझसे ही प्रश्न होगा। यह मेरी ही नहीं करोड़ो की सोच होगी। पर यह भी सच है कि पीछे रहकर आगे कैसे आएँगे? सोचना होगा कि प्रश्न का गलत उत्तर बताने पर अधिक से अधिक क्या होगा और अगर फिर उस अधिक से अधिक को सँभाल लेने का जोश हो तो फिर सीट बदल लें। अब तो आगे ही बैठना है।